Ranjana sharma 30 Mar 2023 आलेख हास्य-व्यंग Google 64638 0 Hindi :: हिंदी
एक रहम दिल इंसान ने किसी अपने की मदद करना चाहा , क्योंकि वह मुसीबत में था, लेकिन उस मददगार को नहीं पता था कि उसका मदद करना ही मुसीबत बन जाएगा। मदद लेने वाला व्यक्ति ने उस मददगार का अंगुली क्या पकड़ा, उसने तो पूरा हाथ ही पकड़ना चाहा। पहले तो उसे एक रुपया की जरूरत थी पर मददगार ने जब मदद की तो धीरे -धीरे उसकी जरूरत बढ़ते गई,एक रुपया से दस रुपया हो गई उसके बाद दस रुपया से हजार की जरूरत पड़ गई इस तरह उसकी जरूरत बढ़ती ही जा रही थी, लेकिन कर्जदार कर्ज चुकाने की बजाय कर्ज लेने में उसे मजा आ रहा था। अब उसकी जरूरत हजार से बीस हजार हो गई पर उसकी जरूरत पूरी ही नहीं हो रही थी, वो कहते हैं ना ---------"जितनी लंबी चादर हो उतने ही पैर फैलाना चाहिए "क्योंकि जरूरत से अधिक पाने वाले की जरूरत कभी पूरी नहीं होती।। प्रस्तुत हैं कुछ पंक्ति इस प्रकार--------- मांग - मांग कर घर बसाने वाले क्या होगा उस घर का जब उस घर का एक -एक वस्तुओं पर तुम्हारा नहीं अपना किसी और का हक होगा। अब तो थम जा सुधर जा ,रुक जा बदल अपने -आप को क्यों नहीं बदलता,देख बदल कर कितना सुकून मिलेगा, तुझे उस राह पर चल कर। जरूरत से ज्यादा न किसी को मिला है न किसी को मिलेगा फिर भी तू क्यों उस चीजों की ओर दौड़ लगा रहा है जो चीज तेरा है ही नहीं उसे तू क्यों अपना बता रहा है। बीबी, बच्चे, भाई-बहन और मां-बाप सबको बर्बाद कर दिया इस मांगने की फितरत ने कई रिश्ते टूटकर बिखर गए मुंह मोड़ने लगे अब वो दोस्त भी जो कभी तेरे इर्द - गिर्द घूमा करते थें। अब गैरों के भी मुंह खुलने लगे ताने दे -देकर लोग हंसने लगे पर तुझे क्यों समझ नहीं आता तू अभी भी हाथ पसारे खड़ा हैं, किसी दूसरे के दर पर तू क्यों नहीं सुधर जाता तेरा ईमान क्यों नहीं डगमगाता हाथ कांपते क्यों नहीं उस वक़्त तेरे जब तू दूसरे के धन को लुटाता।। धन्यवाद।