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मन मंदिर महका दो-मेरा बचपन लौटा दो

Sharda prasad 25 May 2023 कविताएँ बाल-साहित्य #कुमार विश्वास 5193 0 Hindi :: हिंदी

मन मंदिर महका दो,
मेरा बचपन लौटा दो!

शामे जिंदगी की वो यादें,
मैने देखा आप भी जानो!

दमक रहा ऐसे मानो ,
सोने सा बचपना फिक्र !

फिक्र नही कल की
न किसी से सिकवा गिला !!

मित्रो की जब टोली निकले ,
क्या खाये ,बिन खाये !

बडे चाव से ऐसे चलते
मानो जन्ग जीत कर आये !!

मन मंदिर महका दो,
मेरा बचपन लौटा दो!

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