DINESH KUMAR KEER 27 Jan 2024 आलेख अन्य 8578 0 Hindi :: हिंदी
मिलो की दूरी उपस्तिथि तुम्हारी सर्वस्व तो समर्पित कर दिया है प्रेम में अब इस नश्वर तन का क्या मोल भला प्रेम में तन का मिलन तो औपचारिकता मात्र है मन से मन का मेल हुआ तो प्रेम हुआ जब तुम्हारे मखमली,प्रेम में भीगे, शब्दो ने मुझे छुआ, और मैने शर्म से नजरे झुकाई, तो तुम्हारे प्रेम ने मुझे छुआ मीलों की दूरी हो, और सामने बैठे उपस्थिति तुम्हारी हो, तो प्रेम ने दर्श तेरा दिया ये प्रेम हुआ ! कोई मिलन की आस ना हो, और स्वप्न पे अधिकार तुम्हारा हो तो कुछ और नहीं ये तुम्हारा प्रेम ही हुआ तारों से भरा आसमा,और चांदनी रात हो मेरी हर कविताओं में सिर्फ तुम्हारी बात हो सुनो ये सिर्फ और सिर्फ प्रेम ही हुआ इसलिए मैने तुम्हे अपना सर्वस्व दिया