संदीप कुमार सिंह 07 May 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6908 0 Hindi :: हिंदी
दुनियाँ का दस्तूर है, जीवन है संघर्ष। पाते मीठा स्वाद को, सत्य अटल निष्कर्ष।। दुनियाँ का दस्तूर है,चलूं सदा सच राह। पुष्ट विजय तब है मिले,पूरी हो सब चाह।। दुनियाँ का दस्तूर है,समय सदा बलवान। चलूं समय के साथ ही,बनूं सुधा इंसान।। दुनियाँ का दस्तूर है,खुद पर कर कर नाज। ऊंची सफल उड़ान भर,पहनूं सुन्दर ताज।। दुनियाँ का दस्तूर है, मूल प्राण का प्रेम। हम सब शोभा ईश का,सजे हुए सम फ्रेम।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....