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रूस यूक्रेन युद्ध

YOGESH kiniya 30 Mar 2023 आलेख राजनितिक रूस यूक्रेन युद्ध पृष्ठभूमि बनने के प्रमुख कारण 17282 0 Hindi :: हिंदी

द्वितीय विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद दुनिया दो गुटों में बंट गई । एक तरफ अमेरिका और दूसरी तरफ सोवियत संघ। 25 दिसंबर 1991 को सोवियत संघ 15 अलग-अलग राज्यो में विभाजित हो गया । इनमें से एक था यूक्रेन, जो पूर्वी और पश्चिमी दो भागों में बटा था । जो अपने जन्म के साथ ही चुनौतीयो लेकर पैदा हुआ ।
सबसे बड़ी चुनौती थी , पूर्वी और पश्चिमी यूक्रेन के लोगों के बीच भिन्न-भिन्न विचारधारा और अलगाववाद की भावना। यानी यूक्रेन के अंदर भी बगावत की चिंगारी सुलग रही थी। बस रूस उसी चिंगारी को आग में बदलने की कोशिश में लगा था । और उसको यह मौका मिला 2014 में जब यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच देश छोड़कर दुश्मन देश रूस की गोद में जा बैठे ।
कुछ हुआ यू 2013 में  यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का कीव में विरोध शुरू हुआ. विरोध होना लाजमी था क्योंकि यानुकोविच पूर्ण रूपेण रूस के भक्त थे । उन्होंने  यूरोपीय संघ नामक समझौते को ख़ारिज कर इस समझौते के विपरीत रूस से घनिष्ठ संबंध कायम करते हुए उससे ऋण और खैरात लेनी शुरू कर दी। यह बात वहा की आवाम को नागवार गुजरी।  और 2014 में कीव में राष्ट्रपति यानुकोविच का भयंकर विरोध हुआ। यानुकोविच को रूस का समर्थन हासिल था जबकि प्रदर्शनकारियों को अमेरिका और ब्रिटेन का। बगावत के चलते यूक्रेन में गृह युद्ध के हालात पैदा हो गए। राष्ट्रपति यानुकोविच  की कार पर गोली चलाई गई और वह अपना देश छोड़कर रूस की शरण में जाकर विभीषण बन गये ।
 यहीं से विवाद की शुरुआत हुई और पलटवार करते हुए रूस ने दक्षिणी यूक्रेन क्रीमिया पर कब्जा कर लिया। पूर्वी यूक्रेन के कई इलाकों पर रूस समर्थित अलगाववादियों का कब्जा हो गया । रूस ने यूक्रेन के अलगाववादियों को खुला समर्थन दिया। तभी से यूक्रेन सेना और अलगाववादियों के बीच जंग जारी है।
 अलगाववादियों से निपटने के लिए यूक्रेन ने नई रणनीति बनाई। यूक्रेन ने NATO से दोस्ती गांठी और खुल्लम-खुल्ला अमेरिका की शरण में पहुंच गया। रूस नही चाहता है कि यूक्रेन नाटो का हिस्सा बने। इसके पीछे तर्क ये है कि यूक्रेन अगर नाटो से जुड़ जाता है तो रूस पूरी तरह घिर जाएगा, क्योंकि भविष्य में नाटो देश की मिसाइलें यूक्रेन की धरती पर तैनात की जाएगी, जो भविष्य में उसके लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
 रूस चाहता है कि नाटो अपना विस्तार ना करे। राष्ट्रपति पुतिन इसी मांग को लेकर यूक्रेन और पश्चिमी देशों पर दबाव डाल रहे थे। आखिरकार रूस ने अमेरिका और दूसरे देशों की पाबंदियों की परवाह किए बगैर गुरुवार को यूक्रेन पर हमला बोल दिया।
अगर रूस नहीं रूकता है तो यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लेगा, जो उसकी लम्बे समय से तमन्ना थी और इस युद्ध का मुख्य कारण । अगर ऐसा हुआ तो एक बार फिर रूसी विस्तार से दुनिया का नक्शा बदल जाएगा।



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