Pradeep singh " gwalya " 14 Sep 2023 कविताएँ समाजिक प्रदीप सिंह ‘ग्वल्या’ 19010 0 Hindi :: हिंदी
फूलों की शोभा बगीचे में,इन्हें मत चुनो चुनना है तो कुछ शब्द चुनो माला बुननी है तो शब्दों की बुनो बुनाे तो माला जो सशक्त रहे रहे उत्साह लोगों में ऐसे विचार रखो कुछ शब्द बुनो। फूलों की माला कुछ वक्त रहे हर वक्त रहे वो बात कहो जिसमें प्रेरणाओं की बयार हो और भटके,अज्ञानियों की काम आए- उसमें ऐसा सार रखो कुछ शब्द बुनो ।। प्रदीप सिंह ‘ग्वल्या’
pradeep singh "ग्वल्या" from sural gaon pauri garhwal uttarakhand . education:- doub...