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सांप्रदायिकता के कारण और परिणाम

virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 आलेख देश-प्रेम Social 87892 0 Hindi :: हिंदी

1.	अपना धर्म छोड़कर दूसरे धर्मावलंबियों को हेय दृष्टि से देखना। दूसरे के कर्मकांडों व क्रियाकलापों पर तीखी टिप्पणियां करना
2.	राष्ट्रीय-पर्व, धार्मिक त्योहार व जलसों के दौरान धर्मविशेष के लोगों के द्वारा दूसरे धर्म के धार्मिक मान्यताओं पर अनर्गल प्रहार, कटाक्ष, तानाकशी व पत्थरबाजी करना। 
3.	धार्मिक सहिष्णुता का लोप 
4.	कट्टरवादियों के द्वारा एक-दूजे के धर्मावलंबियों को मारकाट व खूनखराबे के लिए उकसाना। 
5.	धार्मिक-अधार्मिक, सामाजिक-असामाजिक संस्थाओं का बहती गंगा में हाथ धोना 
6.	स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग नहीं मिलना। 
7.	अराजकदल व राजनीतिक दलों की उटपटांग बयानबाजी 
8.	लोगों का बात-बेबात  पर उन्मादी हो जाना 
9.	बरसों से घर कर गई सांप्रदायिकता की भावना 
10.ओछी राजनीति, जो सांप्रदायिकता भड़काने में अहम रोल अदा करती है। 
11.राष्ट्रीय संपत्ति को अपनी संपत्ति न समझकर उसको नुकसान पहुंचाने की मानसिकता
      उपर्युक्त कारणों से अराजक तत्व मोटरगाड़ी जला देते हैं। बम-फटाखे फोड़ देते हैं। घरों में घुस जाते हैं। जानमाल लूट लेते हैं। गोलियां चला देते हैं। कई बार तो यह रक्तपात इतना बढ़ जाता है कि पुलिस-प्रशासन और शासन बौना नजर आने लगता है। इसलिए फोर्स को कमान संभालनी पड़ती है। धारा 144 लगानी पड़ती है। दस-बीस व सौ-पचास को पकड़कर कूटना और अंदर करना पड़ता है, तब मामला कहीं शांत होता है। 
                        सांप्रदायिकता के परिणाम
     सांप्रदायिकता स्वयं में एक समस्या है। यह राष्ट्रीय एकता, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को चुनौतीपूर्ण बनाता है। मुल्क को एक राष्ट्र के रूप में टिकने, रहने और कार्य करने नहीं देता। फलतः क्षेत्रीय अखंडता को हर वक्त चुनौतियां मिलते रहती है और देश अलगाववाद, आतंकवाद और क्षेत्रीयवाद का सामना करता है।
      इससे राष्ट्रीय एकीकरण, आधुनिकीकरण और सामान्यीकरण में बाधा उत्पन्न होती है। धर्मान्धता, असहिष्णुता, कट्टरता, हिंसा, धृणा, विद्वेष पनपने लगता है। कुल मिलाकर अनेकता में एकता और गंगा-जमुनी संस्कृति के विकास में रुकावट उत्पन्न होती है।
                            --00--
अनुरोध है कि मेरे द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायत’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर  ‘‘पंचायत, veerendra kumar dewangan पर सर्च कर  पाकेट नावेल का आनंद उठाया जा सकता है।

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