संदीप कुमार सिंह 30 Sep 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 12516 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) ऐसा कुछ कर जाइए,तन पर भव्य लिबास। मन में अति उत्साह हो,अनुपम सभ्य निवास।। ऐसा कुछ कर जाइए,जाए बन इतिहास। जिसे पढ़े दुनिया सभी,और करे विश्वास।। ऐसा कुछ कर जाइए,मिले सभी अधिकार। दुनिया का साधन रहे,रहे मस्त परिवार।। ऐसा कुछ कर जाइए,याद करे संसार। अपने दिव्य प्रभाव से,करिए कुछ उपकार।। ऐसा कुछ कर जाइए,जग में हो प्रिय नाम। इज्जत मिले समाज में,जय जय करे अवाम।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....