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शहरी समस्याओं का समाधान है स्मार्ट सिटी-स्मार्ट तकनीक का इस्तेमाल करके

virendra kumar dewangan 16 Aug 2023 आलेख समाजिक Smart Cities 7791 0 Hindi :: हिंदी

क्या है स्मार्ट सिटी-

स्मार्ट सिटी का आशय ऐसा शहर/नगर, जहां स्मार्ट तकनीक का इस्तेमाल करके गुणवत्तापूर्ण जीवन का निर्माण किया जाएगा, जहां के वाशिंदों को साफ व स्वच्छ माहौल उपलब्ध हो सकेगा।

क्यों जरूरत हुई स्मार्ट शहर की-

भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय के कान्सेप्ट नोट के मुताबिक, देश में अभी शहरी जनसंख्या 31 प्रतिशत है, लेकिन इसकी भारत के जीडीपी में 60 प्रतिशत से ज्यादा की हिस्सेदारी है। एक पुख्ता अनुमान के अनुसार, आगामी 15 वर्षाें में देश की जीडीपी में शहरी लोगों की भागीदारी 75 प्रतिशत होनेवाली है। यही वजह है कि अभी 100 स्मार्ट सिटी बनाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 24 राजधानियां शामिल हैं।

		यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अपने देश में एक भी ऐसा शहर नहीं है, जो विदेशी स्मार्ट सिटियों के मुकाबले कहीं ठहर सके। विकसित देशों में तो एक नहीं अनेक स्मार्ट शहर हैं, जो नागरिकों को पल में उच्च स्तरीय सेवाएं और सुविधाएं प्रदान करती हैं, जहां का वातावरण साफ-सुथरा है। मूलभूत आवश्यकताएं सर्वसुलभ हैं। संयुक्त अरब अमीरात का ‘मसदर’ ऐसा ही शहर है, जो पूर्णतया सौर ऊर्जा से संचालित है तथा जहां प्रदूषण, गंदगी, भीड़भाड़ और अव्यवस्थाओं का नामोनिशान नहीं है। वहां सब दूर सुख-शांति है।

बजट और भागीदारी-

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर 48 हजार करोड़ रुपए खर्च किये जाएंगे, जिसके तहत प्रत्येक चयनित शहर को पांच साल तक कंेद्र सरकार सालाना 100 करोड़ रुपए देगी। पहले चरण में 20 शहर चयनित हांेगे, उसके बाद अगले दो सालों में हर साल 40-40 शहरों का चयन किया जाएगा। इसके निर्माण में राज्य और अर्बन अथॉरिटी की भागीदारी 50ः50 प्रतिशत होगी। सरकार इसमें प्राइवेट सेक्टर भी ला सकती है।

कैसा होगा स्मार्ट शहर-स्मार्ट सिटी में समस्याओं के स्मार्ट हल होंगे। बुनियादी ढ़ांचागत सेवाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। सूचना प्रदान करने का बेहतरीन प्रबंधन, शिकायतों का स्मार्ट निपटारा, इलेक्ट्रानिक्स सर्विस डिलीवरी और नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

		पर्याप्त व स्वच्छ जल की आपूर्ति, पानी की क्वालिटी की मानिटरिंग, स्मार्ट मीटर्स और मैनेजमेंट, साफ-सफाई व ठोस कचरे व तरल अपशिष्ट का 100 फीसदी उपचार व प्रबंधन डिजिटल ट्रेकिंग सिस्टम से किया जाएगा।

		सार्वजनिक परिवहन की कारगर व्यवस्था, स्मार्ट पार्किंग, टैªफिक मैनेजमेंट का बेहतरीन सिस्टम, स्मार्ट पुलिसिंग, नागरिकों की सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और टिकाऊ शहरी माहौल और वह सब कुछ जो शहर को स्मार्ट बनाने के लिए आवश्यक है, किया जाएगा।

		ऊर्जा के अक्षय स्त्रोत, विधुत की 24 धंटे आपूर्ति, सुदृढ़ आईटी कनेक्टिविटी, ई-गवर्नेंस में नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

		वर्तमान कंेद्र सरकार स्मार्ट सिटी बनाने के अपने चुनावी वादे को अमल में लाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। देश के सभी राज्यों से स्मार्ट सिटी के लिए नामों की फेहरिस्त निर्धारित शर्ताें के मुताबिक बुलवाई गई थी, जिसमें सभी राज्यों ने उत्साह दिखाते हुए 4 से 5 नगरों/शहरों की सूची भेजी थी। केंद्र स्तर पर देश की 100 स्मार्ट सिटी में से पहले चरण में 20 नगरों/शहरों को स्वतंत्रता दिवस के दिन लेने की घोषणा दिल्ली के लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरंेद्र मोदी के द्वारा की जानी है।

		केंद्र ने स्मार्ट सिटी के लिए डीपीआर (डिटेल्स प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाने के वास्ते कंसलटेंट कंपनियॉं तय कर दी हैं तथा प्रांतों को 10 रीजन में बांट दिया है। 02 से 03 बड़े राज्यों को मिलाकर एक-एक रीजन तथा 04 से 05 छोटे राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को मिलाकर एक-एक रीजन बनाया गया है। राज्य सरकारों व केंद्रशासित क्षेत्रों को रीजन के हिसाब से चयनित कंसलटेंट कंपनियों से ही स्मार्ट सिटी के लिए डीपीआर बनवाया गया है, जिसमें सीवरेज, विधुत, सड़क, पानी, इंटरनेट आदि-इत्यादि विषय शामिल किए गए हैं।

	यही नहीं, स्मार्ट सिटी के लिए जनभागीदारी और जनप्रतिनिधि भागीदारी व जिम्मेदारी भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। क्योंकि इनकी ईमानदार भागीदारी व जिम्मेदारी के बिना किसी शहर-नगर को स्मार्ट बनाना तो दूर, सकल नागरिक सुविधाओं से परिपूर्ण बनाना असंभव-सा है। 
 
		रीजन का बंटवारा

1.	बिहार,उड़ीसा, पं. बंगाल, अंडमान निकोबार
2.	जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली
3.	उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड
4.	मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़
5.	महाराष्ट्र, झारखंड
6.	राजस्थान, गुजरात, दमन-दीव, दादर और नगर हवेली
7.	तमिलनाडु, पांडिचेरी, केरल, लक्षद्वीप
8.	आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, गोवा
9.	असम, अरुणाचल, मणिपुर,
10.	मेघालय, मिजारम, नागालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम
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