Uma mittal 30 Mar 2023 आलेख धार्मिक श्री हनुमान भगवान का परिचय 17230 0 Hindi :: हिंदी
अतुल शक्ति और महान भक्ति के प्रतीक श्री हनुमान जी की पूजा संपूर्ण भारत में अत्यंत श्रद्धा पूर्वक की जाती हैं |इनका परिचय लिखना तो सूरज को दीपक दिखाने के बराबर होगा क्योंकि हनुमान जी साक्षात भगवान शिव जी के ग्यारवे अवतार माने जाते हैं | ऐसा शायद ही कोई नगर या गांव होगा जहां श्री हनुमान जी का छोटा ,बड़ा मंदिर या प्रतिमा ना हो | भगवान श्री राम संपूर्ण विश्व के एक महान आदर्श हैं और हिंदुओं के तो वे सर्वस्व ही हैं | इसी कारण जहां जहां श्री राम ,वहां सेवक के रूप में हनुमान जी मिलते हैं |हनुमान जी के पिता का नाम कपि राज केसरी था ,जो कांचन गिरी पर्वत के राजा थे |उनकी माता का नाम अंजना था | माता अंजना ने बेंकटाचल पर्वत पर जाकर भगवान शिव की घोर तपस्या की और पुत्र मांगा | तब भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर बोला,” देवी ! मैं तुम्हारा पुत्र होकर तुम्हें संसार में विख्यात कर दूंगा “| वर प्राप्ति का संदेश सुनकर कपिराज केसरी नंदन भी काफी प्रसन्न हो गए | श्री हनुमान जी कहीं “शंकर सुमन “कहीं “पवन पुत्र “कहीं “केसरी नंदन” कहीं “आंजनेय” कहीं “संकट मोचन “के नाम से जाने जाते हैं |हनुमान जी के गुरु श्री सूर्य देव हैं| इन्हें लाल रंग प्रिय है| इनको बूंदी के लड्डू अति प्रिय हैं | श्री हनुमान जी का वृतांत वेद ,पुराण, रामायण ,गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित ‘श्री हनुमान चालीसा ‘में किया गया है |इनके मस्तक पर सोने का मुकुट, कान में सोने के कुंडल और शरीर पर स्वर्ण आभूषण है और हाथ में गदा है |उनका रूप रामायण के अनुसार वानर का मुख अत्यंत बलशाली पुरुष के रूप में दिखाया गया है |उनके कंधे पर जनेऊ लटका रहता है |तुलसीदास जी के द्वारा रचित हनुमान चालीसा के अनुसार :- हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै । काँधे मूँज जनेउ साजै || ‘अर्थात हाथ में आपके ब्रज और ध्वजा है और कंधे पर जनेऊ सजा हुआ है ‘| ब्राह्मण जनेऊ धारण करते थे परंतु हमारे हनुमान जी तो सभी को इतने प्रिय हैं कि सभी उन्हें अपना भगवान बताने में जुटे हुए हैं पर हनुमान जी सिर्फ श्री राम भगवान के सच्चे भक्त है | हमारे श्री हनुमान जी इतने बलशाली , गुणी ,पवन के समान तेज गति से चलने वाले, चतुर, सूक्ष्म और विकराल रूप धारण करने वाले, संजीवनी बूटी लाने वाले, श्री लक्ष्मण को जीवन देने वाले , लंका से सीता माता का पता बताने वाले , लंका जलाने वाले और श्रीराम की पग पग पर सहायता करने वाले ,अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, भला इन की महिमा को कौन नहीं जानता | सच तो यह है कि श्री हनुमान जी की महिमा को वैज्ञानिक भी मान चुके हैं | आज भी श्रीलंका की मिट्टी जहां हनुमान जी ने आग लगाई थी , काली हो गई है |उनका परिचय 10 विद्याओं का ज्ञाता दशानन अर्थात रावण भी नहीं जान पाया कि हनुमान जी भगवान शिव का अवतार है क्योंकि रावण ने बहुत तप करके भगवान शिव से वरदान पाया था कि उसकी मुक्ति भगवान शिव द्वारा ही हो | हनुमान भगवान का जन्म ही मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम भगवान के सेवक के रूप में हुआ था और उन्होंने अपनी पूरी भक्ति ,शक्ति और निष्ठा श्री राम भगवान के लिए निभाई | जो भी श्रद्धालु भक्ति भाव से श्री हनुमान भगवान की पूजा ,आराधना करते हैं ,वे समस्त संकटों से छुटकारा प्राप्त करके सभी ऐश्वर्य ,सुख संपदाओं के स्वामी हो जाते हैं | “सागर में इतना पानी गागर में भरा ना जाए” | ” हनुमान भगवान के इतने वर्णन जल्दी जल्दी लिखा ना जाए” || उमा मित्तल राजपुरा ,पंजाब