आकाश अगम 30 Mar 2023 आलेख राजनितिक #हास्य व्यंग्य #राजनीति पर व्यंग्य #ऐसी की तैसी #दद्दा जी #राम #कृष्ण #गीता #व्यंग्य क्या है #व्यंग्य कैसे लिखते हैं #चुनाव #politics #vyangy #esi ki taisi #rajniti par vyangya #walk #Akash Agam #आकाश अगम 92550 1 5 Hindi :: हिंदी
आज सुबह मैं अपने पापा के साथ बाज़ार से लौट कर आ रहा था कि तभी एक आदमी ने पास में आकर बाइक रोकी और पापा के पैरों पर गिर पड़ा- -दद्दा राम राम। -राम राम। -दद्दा अबकी बार, हमारी सरकार। दद्दा भूल न जइयो, अबकी प्रधान हमें ही बनइयो। - हाँ हाँ ज़रूर ज़रूर। -अबकी बार देखियो दद्दा, कैसे क्षेत्र को नज़ारा बदले। बस सरकार आय जाय हमाई। -जी ज़रूर, हम आपको ही देंगे वोट। - हाँ दद्दा। अच्छा दद्दा, अब हम चलते हैं, हमें और लोगों से भी मिलना है। उनके जाने के बाद हम थोड़ा ही आगे बढे थे कि तभी एक आदमी फिर भागते हुए आया। -दद्दा राम राम। -राम राम , राम राम। -दद्दा भूल न जइयो। -नहीं भूलेंगे भाई नहीं भूलेंगे। -दद्दा बस अबकी बार हम प्रधान बन जायें फिर देखना; कोई अगर बहुत दिनों बाद क्षेत्र में बापस आएगा, तो सौ बार सोचेगा कि सही जगह ही आये हैं न। हम भी गरीब हैं दद्दा; हम जानते हैं कि आप सबन पे का गुज़रती है। पर अब चिंता न करो, अब हम आ गए हैं। बस आप वोट दे दो, बस आप वोट दे दो। -जी ज़रूर, ज़रूर देंगे। -जी दोगे, सच में दोगे , भूलोगे तो नहीं। हमें पता था दद्दा, आप हमें ही दोगे। आप ही बताओ आज तक हमने आप तै एकउ बात कह लौ दई होय। हमाई तो सब ज़िन्दगी सेवा में निकरी। हमने कबहूँ अन्याय नहीं करो दद्दा , सही बतात दद्दा, झूँठी नाहीं कह रहे । हम पे तो अन्याय देखो ही नहीं जात। हम तो इतने सालन तै आप लोगन को दुख देख कै रोत रहे अंदर ही अंदर। ( फिर बहुत ही तेज आवाज़ में ) और दद्दा, महाभारत भी इसीलिए हुआ था कि सच का साथ देना है। गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं- *यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भव- ति भारत ।* *अभ्युत्थान- मधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्- ॥* अर्थात हे अर्जुन जब जब धर्म की हानि होगी, जब जब अधर्म प्रखरता पर पहुँचेगा , तब तब मैं इस धरती पर अवतार लेकर आऊँगा। और आप यही समझिए कि आप जैसे अनेक अर्जुन के लिए हम श्री कृष्ण बन कर आये हैं। कृष्ण कहते हैं दद्दा कि हे अर्जुन, तेरे सामने वो लोग हैं जिन्होंने तुम्हें शिक्षा दी , जिन्होंने तुम्हें धनुष धारण करना सिखाया, जिन्होंने तुम्हें बाण चलाना सिखाया, ये सब तुम्हारे अपने हैं लेकिन इससे भी बड़ी बात कि वो अधर्म के पक्ष में हैं इसलिए तुम्हारे और उनके बीच सिर्फ़ शत्रुता का रिश्ता होना चाहिए। और उनसे तुम्हें युद्ध करना चाहिए। बस यही हम कह रहे दद्दा। हमें पता है कि तुम्हाये निरे अपने चुनाव लड़ रहे पर दद्दा तुम्हें जा देखने कि कौन सच की तरफ़ है और तुम्हें बाई को वोट देने है। हम जानत हैं दद्दा कि तुम्हें पता है, यहाँ कोई परहित नहीं है , सब स्वार्थी हैं, तासों दद्दा अब हम हीं बच रहे हैं, हमें ही वोट देउ। और वैसेऊँ दद्दा तुमसे ज़्यादा कौन हमाओ अपनों है । देखियो दद्दा, सबते ऊँचो मकान तुम्हाओ ही बनिये। हम तो सेवक हैं दद्दा , राजा तो आप ही हो। ( फिर अपने थैले में से कुछ कागज़ निकाल कर ) लेउ दद्दा पोस्टर। जिन्हें अपने घरे टाँग लियो। और सबसे कहियो हमें ही वोट दें। ( पापा ने पोस्टर ले लिए। फिर कुछ देर निस्तब्धता।) - का हुइ गओ दद्दा। तुम बोल नहीं रहे। - हाँ भाई टाँग लेंगे पोस्टर। - नहीं दद्दा, पहले कहो कि हम तुम्हें ही वोट देंगे। -जी ज़रूर। - नहीं पहले कहो कि हम तुम्हें ही वोट देंगे। -अरे हाँ भाई , हम तुम्हें ही वोट देंगे, ख़ुश। -हाँ दद्दा अब ठीक। अच्छा दद्दा अब हम चलें ....... - जी ज़रूर, महान कृपा। - अच्छा दद्दा, हम कल घर अइयें तुम्हाये। - नहीं नहीं , आप क्यों बार बार कष्ट कर रहे हैं। हम दे देंगे आपको वोट। आप चिंता मत कीजिए। वैसे भी हम चाहे किसी को भी दें, हमारे लिए एक ही बात रहती है। -अरे दद्दा, हम तो आपके पास बैठने आयेंगे सिर्फ़ वोट माँगने थोड़ी। क्या चाय पानी की दिक्कत है ? हो तो बताओ हम अभी सारा सामान..... -अरे नहीं नेता जी कोई दिक्कत नहीं, आप आ जाइयेगा। -अच्छा दद्दा अब चलें , राम राम। -राम राम। हम दोनों पोस्टर लेकर घर आये। एक हमनें खाना वाली अलमारी में बिछा लिया है क्योंकि जिन वर्तनों में चूल्हे पर खाना बनता है , वो काले हो जाते हैं इसलिए उनके नीचे पोस्टर बिछा देते हैं। बाक़ी के रखे हैं, उनसे भी काम लेंगे क्योंकि इस चुनाव से बस ये पोस्टर ही कुछ काम आ जाते हैं। अब चिंता तो बस यही है कि श्री कृष्ण कल फिर पधारेंगे और हमारी फिर होगी ऐसी की तैसी।
1 year ago