जीवन की इस आपाधापी में बिखरती जा रही श्वांसो को समेटने की कश्मकश में भरभराते कंठ से गुनगुनाता एक लड़का, जिसे लगता है कि जिस दिन पूरी तरह से कवि हो जाएगा, मर जाएगा वो और जी उठेगी उसकी मनुष्यता!
नज़रें चुराते हुए उसने कहा था
"तुम्हारी आँखों में नहीं देखूँगी
कहीं डूब गयी तो ...."
वह तो उतर गयी पार किसी के काँधे
मगर मैं डूबता रहा पल � read more >>
'सुधा' का साथ पाने की चाहत में
कई बार
न 'सुधा' मिलती है, न 'पम्मी' !
लेकिन
'पम्मी' के साथ से
कहीं अधिक पवित्र है
'सुधा' के लिए
हृदय की तड़प
ज� read more >>
तुम जा रही हो
ये तुम भी जानती हो और मैं भी
पर एक बात सिर्फ़ मुझे ज्ञात है
जो यह है
कि तुम सिर्फ़ जा नहीं रही हो
बल्कि जा रही हो छोड़ कर मु read more >>