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कुदरत ने सनम तुझको- बेहतरीन बनाया है

संदीप कुमार सिंह 06 Jun 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5845 0 Hindi :: हिंदी

कुदरत ने सनम तुझको बेहतरीन बनाया है,
इस जहां की तुम एक हसीन नगीना हो।
हरेक कला तुझमें समाहित किए हैं,
उत्कृष्ट श्रृंगार से सुशोभित किए हैं।

तुम पारदर्शी लगती हो,
तुझमें हजारों वाट का रोशनी है।
अकेले में तुम एक उद्यान हो,
मेरे लिए तुम संपूर्ण ज्ञान हो।

तुम पानी की कलकल हो,
तुम रेगिस्तान की हलचल हो।
जमीं से फलक तक तुम ही हो,
तुम्हारी धड़कन ही गुलाबी है।

बिन मौसम तुम बरसात हो,
सावन की तुम रिमझिम हो।
हाथों की मेहंदी भी तुम हो,
सांसों की तुम ताजगी भी हो।

रूप की रानी तेरा जवाब नहीं,
तुझ में खाली शानी ही शानी है।
वाह क्या गजब अदा है,
जिसपे सारे के सारे फिदा है।

मलिक्काए चाँदनी तुम हो,
तुम आनन्द ही आनन्द हो।
एक सुखद शांति भी तुम हो,
खुशियों की तुम सौगात हो।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)
बिहार

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