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दोहा :- मन घुवत कतैहि जैहे,काल हट पछताहे! माया अन्त ईश्वर की, सद कर्म फल खाये !! व्याख्या:- सांसारिकता जीवन मैं मनुष्य का मन बार-बा read more >>
हर शब्द खेल दिखाते है! कभी हसाता तो कभी रुलाते, तो कभी-कभी आत्मा को शांति पहुंचाते है!! और क्या कहूं यह सब ऐसे भी खेल खेलते हैं! जो कायर क read more >>
दियो न पेई यू भाई! जीव जगत यु न टुलाई!! जगत एक भाई, मानव एक भाई !! तौउ आपस मे यु क्यु गुराई!! Writer:-ASHOK PRIHAR शब्दार्थ:- दियो :- योगदान, जगत: read more >>
काऊ कोऊ प्रियतमा से तौऊ बिन जिव नौऊ भय! लागु मन ताऊ से जिव अब काऊ भय!! मझताऊ थाऊ से मै तौउ न पेऊ! आवु मै घिरी-घिरी जाऊ न पेऊ!! अर्थ:- कहने read more >>
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