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दोहा :-

Ashok prihar 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य Google/yahoo/bing 10980 0 Hindi :: हिंदी

दोहा :-


मन घुवत कतैहि जैहे,काल हट पछताहे!
माया अन्त  ईश्वर की, सद कर्म फल खाये !! 
 व्याख्या:-
              सांसारिकता जीवन मैं मनुष्य का मन बार-बार पटकता हैं, और अपने मन को एक जगह  केंद्रीत नहीं रख सकता ! तथा जब समय निकल जाता है तो बाद में पछताता है यह अनोखी माया ईश्वर की है  जो व्यक्ति नियंत्रित  अभ्यास से  तथा अपने कर्म को नियंत्रित करने से वह सफलता हासिल कर ही लेता है !

शब्द विचार :- 
                     अशोक परिहार

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