दूर तक धूप फैली थी,
बदली से आ गई छाया।
इसे अब दूर सिंधु से उठाकर कौन लाया।
वात भी चल रही ठंडी,
दल झूम रहे सारे,
सरिता तट खड़ी नौका केवट बै� read more >>
तुम चाहो तो जाकर देखो,
उस गिरते पत्ते को , जो टहनी से टूट रहा है
बरसों से था कैसा नाता, पल भर में जो रूठ रहा है।
तुम चाहो तो जाकर देखो,
उन फ� read more >>
हम वहां मिलेंगे......
जहां ना जाति बंधन होगा,
ऊंच- नीच का क्रंदन होगा,
होगी सब खुशहाली वहां पे,
सांपों से मुक्त चन्दन होगा।
हम वहां मिलेंग� read more >>