मेरा नाम क्रान्तिराज पटना बिहार का रहने वाला हुँ,हमें बचपन से ही एक समाजिक कवि के रूप उभरने का शौक था और आज भी है और रहेगा ! हम दिल से साहित्य मंच को बधाई ससमर्पित करता हुँ ,जो हमें अपनी विचार साझा करने का मौका प्रदान किये !
लो मसाल चल पडो ,लेना है ,हमें अधिकार
एक जुट एक राह पर राही हो जाओ हम सब सवार
मर मिटेगे साथ लडेगें जब तक मिल जाये न अधिकार
क्रान्ति की विग� read more >>
तु जा रही हो छोडकर गैरो के लिए
हमने तो विश्वास किया दिलो जान से ज्यादा
आज भी तेरे याद को हम समेटे बैठे है
गम की चादर हम ओढ के बैठे है !
क� read more >>