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Lalit Kumar Yadav

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My Articles

बदनाम हुए गालिब तेरे लिए। बे-दाग़ तो सिर्फ तू निकला।। .... ललित read more >>
"इतना मत इठलाओ अपनी ताजपोशी पर हुजूर। ये लोकतंत्र की कुर्सी है तानाशाह की राजगद्दी नही जनाब।। .....ललित read more >>
इतना मत इठलावो अपनी ताजपोशी पर हुज़ूर। ये लोकतंत्र की कुर्सी है तानाशाह की राजगद्दी नहीं जनाब।। ललित read more >>
सरफरोश की घड़ियां बहुत हैं मेरे सुरूर में लड़ियां बहुत हैं। तू ख़ुद के लिए ख़ुद की इल्तज़ा कर मेरे वजूद में कमियां बहुत है। .... ललित read more >>
मै पहाड़ हूं। मै सूरज को देखकर पला बढ़ा हूं मै चांद को देखकर उसी तरह टूट जाता हूं जैसे रात को गुलमोहर अपने फूल छोड़ देते हैं .... ललित read more >>
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