मोहब्ब निगाहों से पढ़ी जाती है,
जरूरी नही 'जिक्र-ए-अल्फ़ाज' हो.!
हुनर होगी तो ये जान जाओगे,
किस हद तक 'दिल-ए-ख़ास' हो..!!
✒️मनीष सिंह 'क्षत्रिय read more >>
जिओ ऐसे इस पल को,
जैसे नभ-जल सींचें थल को,सावन-भादों के महीने में,
ये जीवन बहुत अनमोल है...बड़ा मज़ा है जीने में,
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ये.. जिंदगी है दोस्त, कभी हंसाएगी कभी रुलाएगी
हर राह पर एक नया मोड़ लाएगी..
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