(काहानी हागू चंद) दिनाकरन - 20-11-2022
एक दिन हागू चंद अपनी सुसराल में गया था। ओर वह जब अपनी सुसराल में पहुँचा तो जब खाना खाने लगा तो उसको सबसे � read more >>
शायरी तेम्बर 24
अरे बेवकूफ नाम तो उन गिद्धों भी का हुआ करता था शेर के जंगल छोड़ के चले जाने तो उन गिड्डो से बस्ती में। अरे बेवकूफ नाम तो उ� read more >>
शाईरी ,नम्बर 23
अरे जनाब आज-कल अपना भाई भी अपने भाई से घिन करने लगा हैं? और गेरो से मोहब्बत करने लगा हैं?
अरे जनाब आज-कल अपना भाई भी अपने भ� read more >>
शायरी: , नम्बर 22
ऐ बिगड़े हुए आषिको यह बैहपना मोहब्बत का खेल
मत खेला करो ? 4) से बिगड़े हुऐ आषिको यह बैहपना मोहब्बत का खेल मत खेला कुरो ?
क्� read more >>
शाईरी -नम्बर 18
गमलें में खिलते हैं! गुलाब के फुल यह सबी को पता हैं। मेरा जान ! 'अरे गमले में खिलतें हैं। गुलाब के जो यह सबी को पता हैं। मेर� read more >>