कभी फुर्सत में लिखूंगा,
वो तमाम खूबसूरत पल,
जो मेरी आंखों ने जिए थे,
मगर ज़िन्दगी की भीड़ में कहीं खो गए...
सोचे थे इक दिन
छत की मुंडेर प� read more >>
ढलती उम्र का हर मंजर नया सा है,
कल जो जवां था, आज तनहा सा है।
आँखों में अब भी ख्वाब जिंदा हैं,
पर पलकों पर बोझ थोड़ा ज्यादा सा है।
कदम जो क� read more >>