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Pravin Chaubey

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@ pravin-chaubey
, Maharashtra

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My Articles

गांव की गलियों में अब भी तेरी याद बसती है, मिट्टी की खुशबू में तेरी ही बात महकती हैं। बरगद के पेड़ तले जो साथ बैठते थे कभी हम अब भी वो ठं read more >>
गरीबी का दामन संभाले खड़े हैं, सपने तो ऊँचे हैं, पर टूटे पड़े हैं। रौशनी जिस शहर में बिकने लगी है, वहीं कुछ चूल्हे अब तक बुझने पड़े हैं। read more >>
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