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Pravin Chaubey

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@ pravin-chaubey
, Maharashtra

I am the Restuarant Purchase Manager My hobby is writer

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My Articles

लेके अधूरे आज कुछ ख्वाब सजाने आया हूँ, टूटे हुए मन में एक उम्मीद जगाने आया हूँ। चुपचाप सी रातों से कुछ बात करने, आँखों के समंदर में एहस read more >>
कभी फुर्सत में लिखूंगा, वो तमाम खूबसूरत पल, जो मेरी आंखों ने जिए थे, मगर ज़िन्दगी की भीड़ में कहीं खो गए... सोचे थे इक दिन छत की मुंडेर प� read more >>
कभी मिलेंगी फुरसत तो जिक्र-ए-इज़हार करूंगा कभी मिलेंगी फुर्सत तो जिक्र-ए-इज़हार करूंगा, तेरी खामोश निगाहों में अपना प्यार भर दूंगा। read more >>
ढलती उम्र का हर मंजर नया सा है, कल जो जवां था, आज तनहा सा है। आँखों में अब भी ख्वाब जिंदा हैं, पर पलकों पर बोझ थोड़ा ज्यादा सा है। कदम जो क� read more >>
गांव की गलियों में अब भी तेरी याद बसती है, मिट्टी की खुशबू में तेरी ही बात महकती हैं। बरगद के पेड़ तले जो साथ बैठते थे कभी हम अब भी वो ठं read more >>
तेरी यादों का साया अब भी मेरे साथ है, हर लम्हा बस तेरा एहसास है। चाहा भुलाना तुझे इन रातों की तरह, पर दिल में तू ज्यों कोई जज़्बात है। ह� read more >>
गरीबी का दामन संभाले खड़े हैं, सपने तो ऊँचे हैं, पर टूटे पड़े हैं। रौशनी जिस शहर में बिकने लगी है, वहीं कुछ चूल्हे अब तक बुझने पड़े हैं। read more >>
कभी जो कंधे दुनिया उठाया करते थे, आज खुद सहारे की तलाश में रहते हैं। जो कदम बेफिक्र हवाओं में उड़ते थे, अब हर मोड़ पर ठहरने लगते हैं। आ� read more >>
कभी जो कंधे दुनिया उठाया करते थे, आज खुद सहारे की तलाश में रहते हैं। जो कदम बेफिक्र हवाओं में उड़ते थे, अब हर मोड़ पर ठहरने लगते हैं। आ� read more >>
कभी जो कंधे दुनिया उठाया करते थे, आज खुद सहारे की तलाश में रहते हैं। जो कदम बेफिक्र हवाओं में उड़ते थे, अब हर मोड़ पर ठहरने लगते हैं। आ� read more >>
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