अचंभा क्या है? ताजमहल का
बस तरासे चूना पत्थर ?
शायद नहीं !
किया अजूबा इसे विश्व में ,
भाव छिपा क्या इसके अंदर ?
देखा जब दूर से उस मीनार को read more >>
रोके रुके न नीर नयन से ,राम चले जब छोड़ भवन से
जड़ चेतन हो शून्य चले थे,कुछ कहे कौन हो मूक बने थे
दु:ख को सहे जब दे विधाता,यहां तो मैं ही थी read more >>