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Rambriksh Bahadurpuri

Rambriksh Bahadurpuri

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@ rambriksh
, Uttar Pradesh

I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote many poems to you

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भटक रही थी बूढ़ी महिला तम तमाती धूप में | अधमरी सी झुकी खड़ी थी, कंकाल के रूप में || उपल ,कण्डा उठा उठा कर , भर रही थी टोकरी. | चाह जीने की प् read more >>
भटक रही थी बूढ़ी महिला तम तमाती धूप में | अधमरी सी झुकी खड़ी थी, कंकाल के रूप में || उपल ,कण्डा उठा उठा कर , भर रही थी टोकरी. | चाह जीने की प् read more >>
मानव मुस्कान भरो मन में जीवन नीरस न बनने दो, किसलय कुसुम सा खिलने दो, भार बनो न धरती का, जज्बा रखो कुछ करने का, भौंरे गुनगुनाने दो कानन म read more >>
कल से कल तक ले आज खड़ा हूं हर युग हर पल कण-कण में पड़ा हूं राग रागिनी निडर निर्भय हूं घात अघात घातक प्रलय हूं क्योंकि मैं समय हूं | ह read more >>
रात भयानक थी काली न निशाकर की कर की जाली सांय सांय सन्नाटा की ध्वनि फैली तरु की डाली डाली निशीथ सघन काले धन की read more >>
खींच खींच ले मन को जाते मीत मनोहर वे बन जाते , उमड़- घुमड़ कर आगे पीछे उड़ते बादल कहां को जाते | कुछ नाचते खुशी मनाते कुछ के आंसू झर झर जा read more >>

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