कुछ सवाल है, कह सकती हूं कि बस यूँही, लेकिन क्या सच में बस यूही है, नही यू ही कुछ भी नही है। सालो से चला आ रहा, देखा गया, सुना हुआ है सब ।और सा� read more >>
बहुत अपना है वो, और पराया भी बहुत है
अपना इतना
कि उससे मन की कह लेती हूं
याद आने पर उसकी मुस्कुरा भी लेती हूं
और रो भी लेती हूं
और पराया � read more >>
अंदर का सबेरा ,जब जाग जाता है
बाहर का दिन भी, तब रात नजर आता है
कहीं कुछ भी नही है, इस भीड़ भरी दुनिया में
हम जागें, तो सब अपने ही अंदर नजर आ read more >>
अब
न कोई गैर चाहिए
न कोई खास चाहिए
न कोई सवाल चाहिए
न कोई जवाब चाहिए
न कोई मित्र चाहिए
न कोई दुश्मन चाहिए
क्योंकि
अब.....
हम खुद से ही खु� read more >>