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SACHIN KUMAR SONKER

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My Articles

एक दिन मैं एक गली से गुज़रा , एक चौखट पर लिखा था। थोड़ा तकल्लुफ़ कीजिएगा जनाब, अपने कदमों की आहट को थोड़ा ख़ामोश रखिएगा। अन्दर ख़ामोशी तन्हा� read more >>
सचिन कुमार सोनकर मेरे जाने के बाद भी उनको मेरी कमी महसूस ना हुई। तो मैने खुद को उनसे दूर रहना ही मुनासिब समझा। read more >>
(सचिन कुमार सोनकर) तेरी मौजूदगी का एहसास मुझे रात भर जगाये रखता है। तेरी यादों में मुझे इस क़दर उलझाये रखता है। तूँ यही कही है मेरे पास � read more >>
जिस नंबर ने हमको सबसे ज्यादा घायल किया। उस नंबर को हमने सबसे ज्यादा डायल किया। सचिन कुमार सोनकर read more >>
हो सकता है तूँ मेरे ख्यालातों से मुख़ातिब ना हो। पर मुझमे एक बात तो जरूर है। कि मैं रिश्तो का तमाशा करके, सुर्खियाँ नही बटोरता। सचिन क� read more >>
ऐसी भी क्या नाराज़गी की तूने मिलना ही बंद कर दिया। एक ख़्वाब ही तो थे, तुझसे मिलने का जरिया। अब तो तूने ख़्वाबो में आना ही बंद कर दिया। सच� read more >>
जब दर्द आँसू बनकर आँखों से निकल जाये, तो लोग उन्हें कायर कहते है। जब वही दर्द अल्फ़ाज़ बनकर, जुबान से निकले तो लोग उन्हें शायर कहते है। � read more >>
भीड़ बहोत थी उसके दिल में। दम घुट रहा था मेरा। इसलिए मैंने उसके दिल से बाहर निकलना ही मुनासिब समझा। सचिन कुमार सोनकर read more >>
खुद पर इतना भी गुरूर अच्छा नही। क्योंकि मरने के बाद तूँ खुद से, कफ़न ओढ़ ले इतनी तेरी हैसियत ही नही। सचिन कुमार सोनकर read more >>
चार लोग आये थे कंधो पर मुझे मेरी पहचान बताने। मैंने भी उन्हें खाली हाथ ना जाने दिया। मैंने भी उनको उनकी आखिरी मंज़िल का रास्ता बता दिय� read more >>
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