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SACHIN KUMAR SONKER

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My Articles

उनकी ख़ामोशी में भी एक शोर था,लब उनके खामोश थे। पर उनकी नज़रों में कुछ और था। कुछ कहना था शायद उनको, दिल यहाँ था पर दिमाग कहीं और था। सचिन read more >>
शीर्षक (सुबह) मेरे अल्फ़ाज़ (सचिन कुमार सोनकर) रात्री कर पहरा खत्म होने को है,एक नई सुबह होने को है। प्रातः काल की बेला है आयी, दृश्य मनोरम read more >>
शीर्षक (गुज़रा ज़माना) मेरे अल्फ़ाज़ (सचिन कुमार सोनकर) वो गुज़रा ज़माना बहोत याद आता है। जब माँ के गोद में बैठ के खाना खाते थे, पिता के कंधे प read more >>
शीर्षक (गर्मी का मौसम) मेरे अल्फ़ाज़ (सचिन कुमार सोनकर) उफ़ ये गर्मी हाय ये गर्मी। उफ़ ये कैसी गर्मी है, चारों तरफ ही आग है, ये सब गर्मी का ही read more >>
शीर्षक (मानवता) मेरे अल्फ़ाज़ (सचिन कुमार सोनकर) ना मन्दिर में ना मस्जिद में ना गिरजाघर में ना ही गुरुद्वारे में, मानवता दिखती है दिल के read more >>
शीर्षक (स्वतंत्रता दिवस) मेरे अल्फ़ाज़ (सचिन कुमार सोनकर) यू ही नही ये आजादी की खुशियाँ आयी है। इसके लिये शहीदों ने अपनी जान गवायी है। म read more >>
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