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रिश्तों की बुनियाद

AJAY ANAND 18 May 2024 कविताएँ समाजिक मोबाइल, रिश्ते, शादी, वरमाला, ऑनलाइन, परिवार 23495 0 Hindi :: हिंदी

रिश्तों की बुनियाद भी ऑनलाइन पर ही टिका हुआ है।
परिवार का हर व्यक्ति इसी पर ही बिका हुआ है।
जिधर देखो हर तरफ ऑनलाइन का ही जमाना है।
बुढ़े , बच्चे और जवान इसी का तो दिवाना है।
ऑनलाइन शॉपिंग से लेकर शादी विवाह में भी खूब धूम मचाता है।
विदेशों में बैठे हुए कपल गले में भी वरमाला डाल देता है।
मानों या ना मानो हर क्षेत्र में ऑनलाइन का ही दबदबा है।
दुनिया जानती है इस बात को, हम सब इसके गवाह हैं।
ना कोई शोर ना ही कोई टकरार।
होता है ऑनलाइन का ऐसा ही प्यार।
दूर बैठे अपने - अपने घरों से,
करते रहते प्यार का इजहार।

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