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Samar Singh

Samar Singh

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@ samar-singh
, Uttar Pradesh

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हर ओर दिवाली है, जगमग दीप जलते हैं जाने कितने सबके, रह - रह के सपने पलते है। शमां जल बुझ रहे रहे, ख्वाब न बुझ पाया। दीपक दिल का जलता है, read more >>
सभी हँस -गा रहे हैं, क्यों मैं ही दुःखों का मेला हूँ। अपनों के इस भीड़ में, क्यों मैं अकेला हूँ।। क्यों मुझे अकेलापन लग रहा है, ये कैस read more >>
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