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My Articles

क्यों हुँ? मैं लाचार ये उठा मन में विचार कर सकता हुँ बहुत कुछ पर मज़बूरी है। मुझ पर सवार तैर सकता हुँ पर कहाँ है। मेरी पतवार क्यों हुँ read more >>
तेरी आँखों की ये धुन लगता है।तूने मुझे लिया है।चुन तेरी आँखों की मेरी आँखों से ये लड़ाई दूर हो जाये तेरी आँखे तो लगती है।जुदाई तेरी आ read more >>
चलता हुँ। अपनी मन मर्जी से मैंने खुद बनाये है। मेरे उसूल खुद की खाली जेब है। मैंने देखी किसी से माँगा नहीं क्यूंकि मैंने खुद बनाये ह read more >>
मेरा दिल है। रोया किसी ने नहीं देखा आँखे है। नम लिए इस दिल पर कई जख्म इन जख्मो को मैंने वक़्त के आगे धीरे-धीरे भरते हुए है देखा मेरा द� read more >>
मोहब्बत की रहा में खुद को अकेला है पाया हँसता था।कभी आज खुद को गुमसुम है पाया मोहब्बत की रहा में खुद को अकेला है पाया देखा खुद को जब � read more >>
हुँ। मैं गुमनाम मुझे गुमनाम रहने दे। ना कर बदनाम थोड़ा मेरे नाम तो रहने दे। मिला हुँ।मै अब खुद से थोड़ा मेरे ये गुमान तो रहने दे। हुँ� read more >>
ज़ालिम जींदगी हमें ये गम दे गई। हमें मुकदर में कई बेहिसाब सितम दे गई। नम है ये आंखे इन आँखों में मेरे ख़्वाबों को ले गई मुकमल ना हुआ जो � read more >>
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