Pravin Chaubey 11 Aug 2023 शायरी समाजिक #kavi#kavita#sayari#poeam#sad sayari#kavya#rajniti#zindagi 8303 0 Hindi :: हिंदी
ए जिंदगी मुझको तू बस इतना तो बता दे रहती है कहा तू अपने उन गलियों का हमको पता तो बता दे कभी इस गली तो कभी उस गली में हर घडी ढूढता रहा मैं तुझको उन गलियों में चलने वाली हर एक हवा के झोखो से भी पूछता रहा में तुमको ए जिंदागी मुझको तू बस इतना तो बता दे रहती है कहा तू अपने उन गलियों का हमको पता तो बता दे ए जिंदगी मुझको तू बस इतना तो बता दे सुना है ए जिंदगी की तेरे दर पे भीड़ लगी है बहुत सारी यहां तो हर कोई अपनी उलझनों में उलझा हुआ है बारी बारी सुना है की तेरे दर पे लोग अपने दर्द को भुला के मुस्कुराना सीख जाते है हालत कैसे भी हो किसी के तेरे चौखट पे पैर रखते ही चलना सीख जाते है कभी हमे भी हमारे जीने की वजह तो दे ए जिंदगी मुझको तू बस इतना तो बता दे रहती है कहा तू अपने उन गलियों का हमको पता तो बता दे ए जिंदगी मुझको तू बस इतना तो बता दे - प्रवीण चौबे
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