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आदर संस्कार

Shubham Kumar 30 Mar 2023 आलेख समाजिक आदर और संस्कार 34019 0 Hindi :: हिंदी

संस्कार 16 होते हैं,  इनमें प्रश्न उठता है, क्या के सोलह संस्कार, क्या होते हैं? इस विषय के बारे में हम बाद में बात करेंगे,, पहले हम कुछ  विषयों पर चर्चा करेंगे_ कोई कहता है सूर्य  पृथ्वी से लाख गुना बड़ा एक ग्रह है,, यह बात भी  सत्य है , इन्हें हम  ठुकरा नहीं सकते, हिंदू धर्म में सूर्य और चंद्रमा यदि ग्रहों को_ देवता कहा  गया है_ अतः सबसे पहले हम जानने की कोशिश करेंगे, कि देवता शब्द का अर्थ क्या निकलता है, देव_ ता, देव अर्थ देने वाला,  (ता)   कार्यकर्ता, अर्थात जो हमें देता है, और कुछ करता है,, यानी वह एक क्रियात्मक शब्द है,, जिसका अर्थ होता है कर्म करने वाला, हमें कुछ देने वाला,, इस प्रकार  हम देखें, तो सूर्य एक   कार्य करता है,, जो हमें प्रकाश देता है_ देवता और भगवान, ईश्वर, भगवान, ( भग )(वान)   (भग )_ भाग या अंश,  (वान)  रूपवान   पहलवान,   कीर्तिमान_ अर्थात व एक ऐसा_ तत्व  जिसमें विशेष प्रकार का गुण हो, उन्हें हम भगवान कहते हैं,, जैसे भगवान श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे,, जैसे भगवान श्री कृष्ण उत्तम और बलशाली थे_ ईश्वर, अगर हम, इस शब्द का उच्चारण करें तो, पहला अक्षर,  ई, इसमें पहला  अक्षर दीर्घा स्वर है_ अगर हम इस शब्द का उच्चारण करते हैं तो, इसका विस्तार होते ही जाता है, इस शब्द के बाद  जुड़ने वाला शब्द, जैसे इत्र, इंसाफ, इंसानियत, का महत्व छोटा होता है, (श्वर) स्वतंत्र, विस्तार, रचना रचेता,, अतः हम शब्दार्थ_ ईश्वर उसे कहते हैं, जो इस सृष्टि में विस्तार रूप से फैला है, जिसका कोई आदि अनंत नहीं, जो स्वतंत्र है, और जो रचयिता है, जो अजय  अमर है,  सूक्ष्म से सूक्ष्म है, जो बड़ा से भी बड़ा है, वही मात्र, ईश्वर है, इस तीनों शब्द में, फर्क है, देव शब्द का, अर्थ हुआ_ जो हमें देता है यह जो कार्य करता है, वह देव है, जिनमें विशेष प्रकार के गुण हो_ उन्हें भगवान कहते हैं, इसे हम पाली भाषा में देखते हैं, (भग) रागोति भगवा, मोहीति भगवा, दोषति भगवा,  तनहोति भगवा, पाली शब्द में  भग का अर्थ होता है भंग करना नाश करना, जड़ से उखाड़ फेंकना,   वान का अर्थ होता है, तृष्णा जिसने समूल रूप से, तृष्णा का नाश कर दिया, जिन्होंने सब मूल रूप से, मोह माया राग द्वेष का नाश कर दिया हो, उन्हें भगवान कहते हैं, पाली भाषा में  भग का एक और अर्थ होता है, भागीदार, संपन्न सहित, जो अपनी उपलब्धि सबको  बाटे  उन्हें भगवान कहते हैंll यजुर्वेद के अनुसार_ पृथ्वी पर मनुष्य, 3 ) ऋण से संयुक्त होता है, पहला हैll देव  ऋण, दूसरा है, पित्र ऋण तीसरा है , ऋषि ऋण, सूर्य एक देवता है, देव है, और वह हमें प्रकाश देता है, अगर मनुष्य उन्हें जल चढ़ाता है या उन्हें अभिवादन करता है, तो इसमें बुराई क्या है? अगर लोग अपनी कुल खानदान को, गंगा में स्नान करते वक्त, जल चढ़ाते हैं  उनकी आत्मा के  शांति  के लिए प्रार्थना करते हैं, तो इसमें गलत क्या है?  ऋषि उन्हें कहते थे, जिन्हें वेदों का  समझ होता था, जिनके पास ज्ञान होते थे, जो आगे पीछे जानते थे, बोले तो आज के समय में, हम उन्हें वैज्ञानिक कहते हैं, तो क्या हमारी दुनिया, इनकी कर्जदार नहीं है, अगर हमारा हिंदू धर्म, इन सब बातों को महत्व देता है, तो क्या हमारा  धर्म, अंधविश्वास है, यही तो होता है आदर और सत्कार,

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