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टप टप टपके स्वेद जो-गीला होता गात ऐसे लगे अजीब सा

संदीप कुमार सिंह 03 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4638 0 Hindi :: हिंदी

(दोहा छंद)
टप टप टपके स्वेद जो,गीला होता गात।
ऐसे  लगे अजीब सा,उमस भरी हो रात।।

पंखा सुखदायक लगे,ए सी में नव चैन।
मजा नहाने में मिले,सुबह शाम दिन रैन।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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