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पथ पर आगे बढ़ना होगा-चलें आंधियां चाहे जितना

Rambriksh Bahadurpuri 01 Oct 2023 कविताएँ समाजिक #Rambriksh Bahadurpuri Ambedkar Nagar #kavi rambriksh Bahadurpuri #Rambriksh Bahadurpuri Kavita #Ambedkarnagar poetry #path per kavita #path per aage badna hoga 5124 0 Hindi :: हिंदी

पथ  पर  आगे  बढ़ना होगा


चलें  आंधियां  चाहे जितना
  धुसित  कर  दे सभी दिशाएं
     पिघल  चले अंगारे पथ  पर
        उठे  ज्वालाएं  धू-धू नभ  में
          फिर भी हमको चलना होगा,
              पथ  पर  आगे  बढ़ना होगा। 

हंस हंस कर भी रोकर भी
  सब अपमानों को सह कर भी
       हार हार को जीत समझ कर
          लक्ष्य  साध अपने ही मन में
             प्रगति  पर  पग रखना होगा,
                पथ  पर  आगे  बढ़ना होगा। 

अंधकार को चीर निकल कर
   साथ  उजालों के भी चलकर
      हो  दलदल  या  नीर  धार  हो
        खड़ा   सामने   या   पहाड़   हो
           हिम्मत  कस  कर  चलना  होगा,
               पथ   पर   आगे   बढ़ना  होगा। 

सम्मुख फैला दुख का सागर
   उठे    थपेड़े    ऊंचे   -  ऊंचे
     अरमानों   से   टकराए   जो,
       पीड़ाओं  से  मुखरित  होकर
          जीवन  अर्पित  करना  होगा,
              पथ  पर  आगे  बढ़ना होगा। 

बहे गमों की तेज हवाएं
   फैल फैल कर सभी दिशाएं
       ऊपर से दुख के कंकड़ जो
          अंतर्मन    में    घाव   कुरेदे
              इनसे  भी  तो  लड़ना होगा,
                  पथ  पर  आगे  बढ़ना होगा। 

मिला किसे क्या पछताने से
   या  घुट घुट कर मर जाने से
      अच्छा है  कुछ कर जाएं हम
         कुछ करने के खातिर हमको
            सूरज  सा  बन जलना होगा,
               पथ  पर  आगे  बढ़ना होगा। 


कभी  कहीं  कुछ ऐसै होंगे
  द्वन्द्व  भरे  भावों से सज्जित 
     पैर    खींचने   को   आएंगे
        आगे   चलने   से   पहले   ही
            समझ समझ कर चलना होगा,
               पथ   पर   आगे   बढ़ना  होगा। 


                   रचनाकार
             रामबृक्ष बहादुरपुरी
         अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश

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