Bholenath sharma 13 Jan 2024 कविताएँ समाजिक प्यारी मधुशाला 7993 0 Hindi :: हिंदी
क्या गीत लिखूँ में तुम पर जो प्यार लुटाये हर प्याले ने बिना ही पथ बतलाये आते है। रोज तेरे प्याले , तू कहीं भी हो छिपी वसुधा के कोने में ढूंढ लेते तुमको तेरे हर दीवाने प्याले । ये सच्चा प्यार हुआ है। तुमको प्यारी मधुशाला से छोड़ नहीं सकता है तुमको तेरी यह मधुशाला , यह अब जीवन है उसका तू दर -दर भटकेगा पीनेवाला फिर भी चाह उसकी है प्यारी मधुशाला । गिरते , पड़ते , लड़ते , झगड़ते , आता है वह पीने वाला व्यथति भाव से भरा हुआ है फिर भी आता है। मधुशाला , छोड़ नहीं सकता है वह प्यारी मधुशाला को कितने अपने हुए पराये पर सच्ची मेरी मधुशाला |