Samir Lande 30 Mar 2023 ग़ज़ल समाजिक समीर लांडे. एक दिन निकल जाना हैं 90230 0 Hindi :: हिंदी
एक दिन निकल जाना हैं, एक लब्बे सफर पर सारी मालो दौलत को पीछे छोड कर और अक्सर डाला जाता है एक ऐसे तंग घर में जहा करवट लेणे की भी जगाह ना हो छोड जाते है सब अपने हमको रुक जाते फिर भी ना कोई अपना पाये हम को आखिर मे बस मिल जाती है जन्नत की खुश खबरी या मिल जाये नर्क का आजाब हमको