सुजीत कुमार झा 15 Dec 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत Googal 7266 0 Hindi :: हिंदी
क्या कहु ये आँखे क्यू तु आज भी रोता है, जब दर्द अपनो ने ही दिया है फिर क्यो पिरोता है।कुछ तो मजबूरिया होगी उनकी भी जो तुझे दर्द दे गया, उस भले लव पे हँसी तो नही थी फिर क्यू तन्हाईयो मे खो गया।शायद खता मेरी ही रही होगी, जो उसने मुझे भरे महफिल मे धो गया।चलाकर जादु कि छड़ी उसने मुझे पटाया था,मैने भी फर्ज के कर्ज मे उस मर्ज को अपनाया था।क्या कहु ये आँखे इस दर्द को कैसे कैसे मैने पाया था ।।