Jyoti yadav 13 Jan 2024 ग़ज़ल धार्मिक कर कबुल दुआं 5395 0 Hindi :: हिंदी
कर कबुल दुआं तेरे शहर आईं हूं खोल नयन मां अब मयईहर आई हूं हाथ में पुजा के थाली लोटिया में जल भर लाईं हूं बोल न अम्बे। अब मयईहर आई हूं खत लिखा था मैंने मईया तेरे नाम का आसमां से टकरा के वापस आ गई ना मिला संदेशा मेरा तुमको तो तुझे देने खुद ही आ गई देने मैं अपनी खबर आईं हूं अब मयईहर आई हूं गोद में उठा ले तु आंचल में छुपा ले तु चुम ले मेरे मस्तक को फिर इक बार अम्बे बनीं परदेशी मैं आईं तेरे दरबार अम्बे कहीं तु छुपा ले नयनों में बसा ले तेरे घर तेरे डगर आईं हूं अपना बना लो मां अब मयईहर आई हूं ज्योति यादव के कलम से ✍️ कोटिसा विक्रमपुर सैदपुर गाजीपुर उत्तर प्रदेश 🙏