सुजीत कुमार झा 23 Dec 2023 ग़ज़ल दुःखद 7367 0 Hindi :: हिंदी
हाँ क्यू मै मुख मोरू मैखाने से, जब अपनी साँसे हि चलती है पैमाने से।जब दर्द ही ख़रीदा है जमाने से, फिर क्यू डरु नज़रे मिलाने से।हाँ मुझे अपने दिल पर कुछ तो गुरुर होगा, या पुर्णतः चुर चुर होगा। जब खाक मे मिलादी मुझे दुनिया है, मुझ से छीन ली मेरी हरमुनिया है।जिसके मधुर स्वर मे ही घूमती थी मेरी दुनिया, उस वीणा के तारो को दुनिया के लोगो ने तोड़ दिया,तब से हि मैने मैखाने से रिस्ता जोड़ लिया। हाँ आँखे कुछ सर्मिन्दा है ,इस दिल के अंदर कुछ साँसे जिन्दा है।जग से छुप कर उसे लौट आने कि आसार है, इस लिए कुछ सर्मसार है।जिस दिन किसी के सर पर सज जायेगी उसके नाम का सेहरा, खत हो जाएगी दुनिया की मुझ पर से तब पेहरा।तब खुद ही साँसो कि डोर टुट जायेगी, मैखाने से रिश्ता छूट जाएगी ।