Irfan haaris 07 Apr 2023 ग़ज़ल समाजिक बड़ा गुमसुम सा रहता है अकेला बन्द कमरे में 8569 0 Hindi :: हिंदी
ख़ुदा खामोश बैठा है अकेला बन्द कमरे में बड़ा गुमसुम सा रहता है अकेला बन्द कमरे में आके दुनिया में शायद बहुत करीब से देखे इन्सां बनाए कौन से मकसद से बन गए क्या इन्सां नाम से करते हैं मेरे ही गुनाह तमाम फिर करते हैं शुक्र अदा लेके मेरा ही नाम