Poonam Mishra 24 Jun 2023 ग़ज़ल समाजिक किस मोड़ पर ले आई 4986 0 Hindi :: हिंदी
न जाने जिंदगी मुझे किस मोड़ पर ले आई ! कुछ इस तरह से जिंदगी में गमों के बादल छाए! कि जिंदगी के उजाले फिर मुझे डराने लगे! आशाएं भी टूट गई! उम्मीदें भी मुझसे रूठ गई! कुछ इस तरह से रूठी है जिंदगी की एक आशा की किरण भी दिखाई न दी! न जाने क्यों ?मुड़कर भी न देखा मैंने तुम्हें बार-बार! बस जिंदगी को ही जिंदगी से मिलाने की कोशिश करती रही हर बार!....