Poonam Mishra 24 Sep 2023 ग़ज़ल समाजिक हमने जाने क्यों मैं खुद से दूर हो रही हूं 10657 0 Hindi :: हिंदी
न जाने क्यों अंदर-अंदर ही मैं कुछ टूट रही हूं। दुनिया के इन रिश्तों से अपने आप को दूर कर रही हूं ना चाहते हुए भी लोगों से शिकायतें! कुछ कम हो रही है! कुछ अपनी मजबूरी को यू मैं अपने आप से दूर कर रही हूं! बहुत दूर निकल चुकी थी मैं अपने आप को छोड़कर अब न जाने क्यों ? फिर से मैं अपने पास लौटना चाहती हूं! क्या खोया! क्या पाया ! इन रास्तों में इन सवालों से मैं खुद को दूर कर रही हूं? आजकल न जाने क्यों? मैं अंदर ही अंदर से कुछ टूट रही हूं स्वरचित लेखिका पूनम मिश्रा