Jyoti yadav 12 Jan 2024 ग़ज़ल दुःखद नजर आता नहीं फिर भी सितारा देख लेती हूं ❤️ 9485 0 Hindi :: हिंदी
मैं रात अमावस की चांद कहां होगा मेरी तकदीर में अंधेरों से रिश्ता मेरा रौशनी नहीं है मेरी नसीब में कभी कभार ख्वाबों में पूनम नजारा देख लेती हूं नजर आता नहीं है फिर भी सितारा देख लेती हूं ❤️❤️❤️❤️❤️ मन यूं ही मचल के रह जाता है जब तकतीं मैं गर्दिश में सहम जाती है रात घनेरो के बंदिश में ❤️❤️❤️❤️❤️❤️ लिए सपने हसीन निगाहों में फिर चलतीं हूं नींद की राहों में ❤️❤️❤️❤️❤️❤️ नींद खुलते ही ख्वाब ए टूट जाते हैं हंसने से पहले ही अश्रु के अंकुर फूट जाते हैं ❤️❤️❤️❤️❤️❤️ बह जाते हैं दर्द सारे आंखों के नीर में मैं रात अमावस की चांद कहां होगा मेरी तकदीर में ❤️❤️❤️❤️❤️❤️ ज्योति यादव के कलम से ✍️ कोटिसा विक्रमपुर सैदपुर गाजीपुर उत्तर प्रदेश 🙏♥️