Samir Lande 30 Mar 2023 ग़ज़ल समाजिक Samir Lande ,समीर लांडे, ये जिंदगी 12174 0 Hindi :: हिंदी
एक सुबह ईक मोड पर मुब्तला खडा हू में यहाँ पर मुन्तजीर कर रहा हू ऐ जिंदगी एक बार तू इशारा कर अल्फाज भी अब झूटे लग रहे है प्यार के लग रहा है जैसे पन्ने भर गये है पाप के मुके बोल जैसे दिलं पे तिर के वार हे , जेसे जिंदगी हो शिशे की अदालत और पत्थर की गवाई है है ख्वाब सारे उछले जिंदगी ने , बिखरे अरमान है क्या कोसना नसीब को, जब बदनसीबी यार है - समीर लांडे