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सती प्रथा का होना,

Shubham Kumar 30 Mar 2023 आलेख धार्मिक धर्म और सती प्रथा 35766 0 Hindi :: हिंदी

मैं बचपन से, इस बात को सुनता रहा हूं, (सती प्रथा) आखिर यह क्या चीज है,  लोग सती प्रथा को, घृणा की दृष्टि से देखते हैं, होना भी स्वाभाविक है, क्योंकि इनमें कुछ त्रुटियां हैं, जो कुछ जाहिल लोग ज्ञानी पंडित, के भेष में( अलग प्रकार की भावना) को जन्म दिया है, यह धर्म पर बहुत बड़ा कलंक है, असल में होता है यह है, पहले जमाने के लोग, किसी एक को सर्वश्रेष्ठ मानते थे, उन्हें बाबाओं का दर्जा मिलता था, उन्हें ज्ञानियों का दर्जा मिलता था, क्या यह हम जानने की कोशिश करेंगे, किस में कहां-कहां त्रुटियां हैं,   यह बात किस हद तक सत्य है, गौर से   पढ़ना आप इस लेख को, इसमें मेरी विचार ही नहीं,  बल्कि कुछ सत्य है, आशा करता हूं आप सबको, यह पसंद आएगी, मैं आपसे रिक्वेस्ट करता हूं आप हिंदू धर्म, महान संस्कृति को, सती प्रथा का नाम देकर, बदनाम ना करें,( जिस धर्म में स्त्री को अर्धांगिनी कहा जाता है) गाय जैसे जानवरों को, माता कहकर संबोधित किया जाता है, उन्हें पूजा जाता है, जिस धर्म में धन की देवी लक्ष्मी है, विद्या की देवी सरस्वती है, संहार करने वाली देवी काली है, जगत जननी मां दुर्गा है( उसी धर्म में, स्त्रियों को, पति के साथ ही जलाया जाता था) कितने शर्म की बात है, यह विचार हम में  बोया नहीं गया तो क्या?( यह घटना कुछ महाभारत से है) उसी धर्म शास्त्र को, तोड़ मरोड़ कर, कुछ लोगों ने इस सती प्रथा को  चलाया,( आप जरा महाभारत को पढ़िए)) जब वीर योद्धा, रणभूमि में, अपने प्राण गवा चुके थे,   उनकी पत्नियां, जो बहुत ही सुंदर थी, जो विलाप करते हुए, अपने पति के वियोग में, अपने प्राणों को  आहुति, दे रही थी, अपने पति के साथ ही, चिता में समावेश हो जाती, भीष्म पितामह कहते हैं,, भीष्म पर्व में,, कि जो भी स्त्रियां, अपने पति के वियोग में, प्राण भी त्याग देती है, उन्हें   अग्नि जलाते वक्त, कष्ट नहीं देती, अगर जिनके बच्चे हैं,,   वह स्त्रियां अपने प्राणों का त्याग ना करें,, अगर वह ऐसा करती है, कुल हत्या का पाप लगेगा, इस वाक्य को हमें गौर से पढ़ने की जरूरत है, उन्होंने ऐसा कभी नहीं कहा, की स्त्रियां को जला दो, या जल जाना ही उचित है, तो फिर यहां पर सती प्रथा कहां से आ गई, क्या हमारे साथ छल नहीं किया गया,, महाभारत में कहीं भी, ऐसा नहीं लिखा गया है, की स्त्रियों को जलाया जाए,,  यह बहुत अफसोस की बात है,  इसी महान संस्कृति, के कुछ बाबाओं ने, इस प्रथा को जन्म दिया, और हमने इसे लगभग कई  वर्षों तक, इस घटिया प्रथा को, सती प्रथा का नाम देकरअपनाया है, विदुर नीति- कहती है, एक स्त्री दो घरों को, स्वर्ग बनाती है, स्त्री घर की मर्यादा होती है,, और इस मर्यादा को, हम सब मिलकर, इतने दिनों से अत्याचार करते आ रहे थे, बात यह है कि, असल में हमने हिंदू धर्म महान संस्कृति को, समझा ही नहीं है, जब तक हम लोग, उसे समझ नहीं लेते, तब तक भविष्य में भी, इससे भी कई भयंकर, और घटिया  प्रथा,  का जन्म होना, स्वभाविक है, हम लोग मान भी सकते हैं, क्योंकि असल में हमने अपने धर्म को नहीं जाना,,, जिस धर्म में, शाकाहार जैसे, विचारों को जन्म देती है, वह धर्म हत्यारा नहीं हो सकता(, स्त्री) और हरी) कुछ कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिसे हरि का, अर्थ नहीं पता, आज तो कुछ लोग अपनी   मुंह उठाकर, यह भी कहने से बाज नहीं आते, कि तुम्हारा धर्म मैं देवी देवता,  पापी है_  तुम सब एक शैतान की पूजा करते हो, क्या हमें इस बात को मान लेना चाहिए,, तो आपका जवाब होगा नहीं,, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो बड़ी आसानी से मान लेते हैं, बल्कि मान ही नहीं लेते, अपने धर्म पर ही सवाल खड़ा करते हैं, अपनी संस्कृति पर ही, सवाल खड़ा करते हैं, करना भी चाहिए, ऐसा होना भी चाहिए, लोग यही चाहते थे, इसलिए उन्होंने हमारी संस्कृति में, फेरबदल कर, हमें बदनाम किया, आज यही नफरत के, बीज के कारण, कई लोग अपने महान संस्कृति को, छोड़कर, अलग-अलग समुदाय  अपना रहे,, एक समय ऐसा भी आएगा, यह महान संस्कृति- लुप्त हो जाएंगे,,( मैंने बचपन में पढ़ा था)  मेरे मास्टर जी कहते थे(, गुरु)   गु- अर्थात- अंधकार) रू- अर्थात- प्रकाश, गुरु वही होता है, अंधकार से प्रकाश की ओर_ ले जाते हैं,,( लेकिन यहां पर सवाल उठता है)  कि पहले जमाने में, गुरु को ज्ञानी कहते थे, सभी बातों को अच्छी तरह से जानने वाला, भविष्य में घटने वाली घटना को. उजागर करने वाला.( क्या वह नहीं जानते थे) की सती प्रथा, किस हद तक सही है,( भविष्य में लोग) इस प्रथा के कारण, कई प्रकार के परेशानियों का, सामना करेंगे(  यह प्रथा) समाप्त हो जाएगी, वह लोग यह  स्त्री का पीड़ा नहीं समझ पाते( तो उन्हें क्या मालूम था, या तो वह अंधे थे)  जब  अंधा अंधे को रास्ता दिखाता है, तो दोनों ही गिरते हैं, क्या हमारी संस्कृति, इतने बुरे थे( हम लोगों ने बहुत साल पहले, जाना कि, पेड़ों में जीवन होता है, प्रकृति, की  रक्षा पेड़ करते हैं, जब प्रकृति की रक्षा है, तो हमारी रक्षा है,( यहां पर हम लोग) एक छोटी सी बात को नहीं समझ पाते, की स्त्रियां है तो हमारा जीवन है, अगर उन्हें मिटा दिया जाए, तो संसार मिट जाएगा, अतः कोई उत्पन्न ना होगी, स्त्रियां पुरुषों की पूरक है,, उस हत्यारे विचार को, सती प्रथा नाम देना, या एक चलन अपनाना, किस हद तक सही है,( अध्याय समाप्त) मैं बहुत जल्द हिंदू धर्म महान संस्कृति) पर लेख आप सबके सामने प्रकट  करूंगा,) आप सब को पढ़ने के लिए लाख-लाख धन्यवाद, शुभम कुमार तह दिल से आपको हार्दिक अभिनंदन करता है,

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