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दिल ने दिल से कहा- जरा प्यार से रह

संदीप कुमार सिंह 12 Jun 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6676 0 Hindi :: हिंदी

दिल ने दिल से कहा जरा शांत रह,
फिर धड़कन ने कही जरा प्यार से रह।

इतने में आंखों ने कर लिया इशारा,
दूर कहीं नजर आया एक किनारा।

दिमाग ने जरा सोचना शुरू किया,
फिर बहुत सारा ख्याल आया।

ख्यालों में एक छवि उभर आई,
सुन्दर कोमल और बदन गदराई।

फिर होठों पे एक गीत आ गया,
तुझे मैं यूं दिन_रात देखता ही रहूं।

मेरे ख्वाबों की रानी तुम ही तो हो,
तुम्हीं तो मेरी अधूरी कहानी भी हो।

गदराई बदन वाली छवि इतराने लगी,
शर्म और हया भी दिखाने लगी।

इस अदा ने तो मेरे दिल को झांझर कर दी,
मेरे सामने बहार ही बहार नज़र आई।

और मैं मुस्कुराते हुए छवि को अपने और पास बुलाया,
बदले में छवि ने नहीं की आवाज लगाई।

फिर मैंने छवि से गुहार लगाया,
आ जाओ मेरे और करीब आ जाओ।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)
बिहार

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