कुमार किशन कीर्ति 26 May 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत दिल,दिल्लगी 9218 0 Hindi :: हिंदी
1ऐ दिल जरा संभल जा,ऐसी भी क्या बेकरारी है।आग जो सुलगी है दिल्लगी की,बस धुंआ उठना बाकी है। 2कोई परवाह नहीं तुम्हारी इश्क़ में मैं रुसवा हो जाऊं।इश्क़ गर हादसा है,तो क्यों ना इससे गुज़र जाऊँ! 3एक मशवरा देता हूँ, जरा गौर किजिएगा।एक हसीं माशूका हो,उस चांद से भी परदा किजिएगा।