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राह में थी एक रंजिश रंजिश

Samar Singh 29 Apr 2023 कविताएँ दुःखद आप जब कामयाबी की सीढ़ियों पर चढ़ना चाहते हैं तब कोई न कोई आपको टांग खींचने को तैयार होता है। 5068 0 Hindi :: हिंदी

रंजिश

राह में थी एक रंजिश, 
ठोंकर लगा के पछता रहे हैं। 
पाँवों के दर्द अब भी, 
बनकर नासूर की तरह सता रहे हैं।। 

उस राह पे न चल,
जिसकी कोई मंजिल न हो। 
उस समुंदर की लहर से, 
टकराना नहीं, जिसका साहिल न हो।। 

कोशिश न करना, 
अनजान राहों पर जाने के लिए। 
साजिश बिछी रहती है, 
हर शख्स को गम दिलाने के लिए।। 

मुकद्दर से मिल जाए जो मंजिल, 
उसे पाने में मजा नहीं आता। 
मंजिल वह है जो पागल बना दे, 
उस राह पे चलना क्या जब तक सजा नहीं आता।। 

रचनाकार- समर सिंह " समीर G "

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