Amresh kumar pathak 23 Jun 2023 कविताएँ बाल-साहित्य 19510 1 5 Hindi :: हिंदी
सूरज दादा सूरज दादा लाल आग का गोला है । गरमी में तपता है दिनभर शाम ढले सो जाता है । सर्दी का मौसम हो या फिर हो बरसात सुहाना । सूरज का आना जाना होता है खेल पुराना । घने पेङ की छाॅव में बैठे प्राणी जीव तमाम। सुस्ताने को आते एकपल मेहनत कश इन्सान बर्षा की बूंदे झिलमिल कर गिरती जब धरती पर । इन्र्दधनुष बन जाता है तब सुन्दर और मनोरम । शाम सुहाना हो जाता जब तक सूरज में लाली । देख कवि खुश हो जाता है धरती की हरियाली ।
9 months ago