Sharda prasad 24 May 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग कवि 6492 0 Hindi :: हिंदी
गिरा आम के पेड़ से डाल, बच गया भईया बाल-बाल आगे दिखा गजब टीकोरा, मन विचलित हुआ निहोरा रात का मसला बीसो बार, अपना फेटा कई बार जो पढ़ जाए वो दीवाना, वरना मुर्ख ना बन जाना कवि हुआ मनहूस बेचारा, उसका निकला ऊर्जा सारा छोटी सी थी वो छरहोरी, मुंह मे दिया सात इंच की बोरी पूरा हुआ मेरा प्यार, ज़ब उसको आया धार सुरमा की तरह मैं अड़ गया, उसकी आधी रात फट गया बांहों मे हुआ मार, छूटते ही खत्म हुआ प्यार | शुभरात्रि मित्रो कवि आपका शारदा प्रसाद कविता पढ़े और शेयर करे जुड़े रहे साहित्य लाइव परिवार से 🙏🏻