धीरेन्द्र पांचाल 30 Mar 2023 गीत अन्य बादल और गांव 20797 0 Hindi :: हिंदी
चान छुपउले जाली कहवाँ , घुँघटा तनिक उठाव । बदरिया हमरो केने आव । बदरिया हमरो केने आव । झुलस रहल धरती के काया छाया ना भगवान लगे । तोहरे बिना ये हो बदरी सब कुछ अब सुनसान लगे । लह लह लहके रेह सिवाने कातर नजर हटाव । बदरिया हमरो केने आव । बदरिया हमरो केने आव । पेंड़ कटत बा निशिदिन चिरईन के खोतवा बिरान भइल । खेत कियारी नदी कछारी सगरों जस शमशान भईल । जार रहल बा देहियां सूरज के तनिका समुझाव । बदरिया हमरो केने आव । बदरिया हमरो केने आव । गोरुअन के सुबिधा के दुबिधा घास खंचोली पाईं ना । गाय के थाने दूध ना उतरे दुःख बतावल जाई ना । पुरुवा के संग चुरुवा रोपले ठाढ़ ह पूरा गांव । बदरिया हमरो केने आव । बदरिया हमरो केने आव । अइसन का भकुआय गयल बाड़ू हमके समुझावा । हिय में कउनो पीर होखे त आवा बइठ बतावा । सुख दुःख मिलके बाँट लिहल जाइ पिपरा के छाँव । बदरिया हमरो केने आव । बदरिया हमरो केने आव ।